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बाहुबली हिदा मीणा झरवाल (जयपुर) उस जमाने, के पहले बाहुबली योद्धा थे, जयपुर के राजा जयसिंह ने सन् 1734 में विष्णु के नाम पर एक यज्ञ का आयोजन किया, पंडितों ने यज्ञ में वृहद राज विष्णु की असली मूर्ति को दक्षिण भारत में कांचीपुरम से लाने के लिए बोला पहले राजा जयसिंह ने राजस्थान के सभी राजपूत राजाओं को लाने के लिए बोला सभी ने 2500-3000Km दूर से विष्णु जी कि मूर्ति को लाने से मना कर दिया, राजपूतों के मना करने पर राजा जयसिंह ने मीणा सरदारों और जागीरदारों को बोला सभी ने बाहुबली हिदा मीणा का नाम लिया हिदा मीणा इतना बलशाली था कि अकेला 1000 योद्धाओं को मार कर जीत हासिल कर लेता था।
ऐसा उसने कई युद्धो में किया, जयसिंह ने हिदा मीणा को जिम्मेदारी दी तो उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
हिदा मीणा घोड़े पर सवार होकर दक्षिण भारत में कांचीपुरम जाकर पहले वहां के राजा से मूर्ति देने के लिए आग्रह किया, तो राजा ने उसे मूर्ति देने से मना कर दिया तब उसने अकेले वहां के राजा वह हजारों सैनिकों को युद्ध में मौत के घाट उतार कर विष्णु जी की मूर्ति को लेकर जयपुर आ गया। इसलिए हिंदा मीणा को तब से बाहुबली हिदा मीणा कहा जाता है।
राजघराना बाहुबली हिदा मीणा जी के इस प्रयास से अचंभित हो गई और राजा जयसिंह ने खुश होकर हिदा मीणा को इनाम देना चाहा तो हिदा मीणा ने मना कर दिया, अत्यधिक आग्रह किया तो हिदा के नाम पर घाटगेट दरवाजे के पास एक छोटी मोरी, रास्ता बनाने के लिए बोला, जयसिंह ने घाट गेट दरवाजे के पास परकोटे के किले की चारदिवारी में हिदा झरवाल के महल के पास, एक मोरी का नाम हिदा मीणा के नाम पर कर दिया। आज भी सरकारी रिकार्ड में हिदा की मोरी नाम है।
हिदा की मोरी बनने के बाद वह जयसिंह के महलो और परकोटे से बाहर हिदा झरवाल बिना रोक-टोक के आने-जाने लगा। इससे राजस्थान के बड़े-बड़े राजपूत राजा कुंठित और चिढ़ने लगे। हिदा मीणा को ठिकाने लगाने के लिए विभिन्न षड्यंत्र रचने लगे लेकिन वे सफल नहीं हुए।
एक दिन एक, सामान्य हिदा नाम के व्यक्ति से आपसी झगड़े में एक व्यक्ति की मौत का अपराध हो जाता है। उधर राजपूतों, दरबारियों को मौका मिल जाता है। और वे बाहुबली असली हिदा मीणा को अपराधी घोषित करवा कर मरवा देना चाहते हैं और सभी राजा जय सिंह के पास जाकर झूठ मुँठ अनेक बातें असली हिदा मीणा का नाम लेकर राजा जयसिंह के कानों में भर देते हैं। तो राजा जयसिंह ने भी बिना सोचे समझे, बाहुबली हीदा मीणा को जयगढ़ के किले पर तोप से बाँधकर उड़ाने का आदेश दिया था।
आदेश मिलते ही सभी राजपूत, सामान्य हिदा की जग
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