
भारतवर्ष की गौरवशाली परंपराओं का रखते हुए पूरा ध्यान,
समान भाव से प्रारूप समिति ने रचा था सन 49 में संविधान
लोमहर्षक, लोकलुभावन जनभावना से अभिभूत हुआ था ये मंत्र,
सामान्य गण की असामान्य, दूरदर्शी सोच से बना ये महान गणतंत्र
व्यक्ति और नागरिकों को केंद्र में रख कर बना था ये विधान
अपनी अनूठी शैली से आज भी समूचे विश्व मे है गुंजायमान
भारत संघ है आधार में और स्वायत्तता झलकाते सभी राज्य
प्रभुता, समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, लोकतंत्र से सराबोर गणराज्य
जहाँ मूलाधिकारों की श्रृंखला में आत्मा संविधान की बसती है,
वहीं मूल कर्तव्यों की कर्तव्यपरायणता स्मरण सदैव रहती है
सजग प्रहरी बना उच्चतम न्यायालय करता अधिकारों को प्रतिभूत,
नीति निदेशक तत्व करते हैं प्रत्येक राज्य की आधारशिला मजबूत
हतप्रभ हैं सभी राष्ट्र देखकर भारत देश का अविस्मरणीय गौरव,
संप्रभुता का एक अनूठा उदाहरण पेश कर दिखाया सबको
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