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ना इबादतों से मन्नत पूरी होती है
ना किसी की इनायतों से,
कुछ बूँद लहू की मिलती हैं
कुछ आंख खुली उन रातों में,
कुछ सच जब फूंका जाता है
उन कही-सुनी हुई बातों में,
जब दिल और दिमाग संग मिलते हैं
रहते हैं एक ख्यालों में,
तब होती है तस्वीर पूरी
जब जज़्बे होते हैं हाथों में।
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